- 72 Posts
- 65 Comments
नॉएडा भूमि विवाद चर्चा में आने के बाद भी प्रदेश और केंद्र की सरकारे भूमि अधिग्रहण पर पारदर्शी कानून बनाने को तैयार नहीं दिखती. वास्तव में भूमि अधिग्रहण के माध्यम से आवासीय कालोनियां बनाना बड़े घोटालों का आसान माध्यम है. खेद जनक यह है की आवासीय कालोनियां बनाने के लिए बड़े पैमाने पर उपजाऊ कृषि भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है. बेशक आज हम खाद्यान्न मामलों में आत्मनिर्भर है किन्तु कुछ दशक पहले यह स्तिथि नहीं थी. आज सरकारे देश की अति उपजाऊ कृषि भूमि का अन्य कामों के लिए अधिग्रहण कर खाद्यान्न उत्पादन कम करने पर तुली हुई है. उपजाऊ कृषि भूमि के इस ताबड़तोड़ अधिग्रहण का दुष्परिणाम कुछ वर्षों बाद सामने आएगा जब कृषि भूमि का रकबा घटने से खाद्यान्न का उत्पादन कम होने लगेगा.
सरकार की गलत नीतियों के कारण ही महानगरों से सटी उपजाऊ कृषि भूमि का अधिग्रहण कर महानगरों को और बड़े महानगरों में तब्दील किया जा रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की और पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा . यदि सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों की बंजर भूमि को चिन्हित कर वहां बड़े सरकारी संसथान व अस्पताल आदि खोले जाये एवं निजी क्षेत्र को वहा आवासीय कालोनियां बनाने के लिए भूमि आबंटित की जाये तो न सिर्फ भारत के ग्रामीण क्षेत्र का विकास होगा बल्कि महानगरों पर बढता जनसँख्या का बोझ भी कम होगा.
Read Comments