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जिस देश में करोड़ों लोगों को दो वक्त भरपेट खाना नसीब न हो उस देश के वित्त मंत्री का यह बयान कि महंगाई से परेशान होने की जरूरत नहीं, अत्यंत खेद जनक व गरीबों का उपहास उड़ाने वाला है. क्या वित्त मंत्री जी ने कभी कल्पना की है की उनकी सरकार के द्वारा चलायी जा रही नरेगा योजना में मिलने वाले रोज के १२० रुपयों में एक परिवार किस प्रकार आज की महंगाई में गुज़र बसर करता होगा वो भी साल में सिर्फ सौ दिन . पेट्रोल डीजल के आकाश छूते दामो को उचित ठहराने वाले यु पी ए-२ के मंत्री कभी अपनी जेब से अपने सरकारी वाहनों में तेल डलवाकर देखे तो उन्हें ज्ञात होगा की महंगाई किसे कहते हैं. वित्त मंत्री जी बार बार देश की ऊंची विकास दर का हवाला देते है. किन्तु क्या देश की विकास दर बदने से देश में गरीबों के जीवन स्तर में कुछ सुधार हुआ है, हाँ देश के उद्योगपतियों के पूँजी जरूर कई सौ गुना तक बड़ गयी. यह अत्यंत शर्मनाक है की देश की सरकार उचित भण्डारण के आभाव में अनाज को सड़ने तो दे सकती है पर उस अनाज को गरीबों में मुफ्त बाँटना उसे मंजूर नहीं है. कभी सरकार के मंत्री बयान देते है की उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे महंगाई पर काबू पाया जाये और कभी अगले कुछ महीनों में महंगाई ख़तम करने की बात कह दी जाती है. खेद है की देश की दुनियां भर में अर्थशास्त्री प्रधान मंत्री के रूप में प्रसिद्द हमारे प्रधानमंत्री के पास देश को महंगाई से छुटकारा दिलाने का कोई उपाय नहीं है.
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