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भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक प्रभावी लोकपाल कानून लाने के लिए आन्दोलनरत वयोवृद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे को देश भर से जैसा व्यापक जन समर्थन मिला है उससे देश के राजनैतिक दलों के नेताओं कि आँखे खुल जानी चाहिए. विपक्ष में बैठे राजनैतिक दल इस भ्रम में न रहे कि देश ने अन्ना हजारे को मात्र संप्रग सरकार के विरोध में समर्थन दिया है. अन्ना हजारे के इस आन्दोलन में देश कि पीड़ा उन समस्त राजनैतिक दलों के खिलाफ है जो सत्ता में आते ही बेलगाम भ्रष्ट आचरण करने लगते है. देश का यह आन्दोलन मात्र दिल्ली कि केंद्र सरकार के भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ नहीं है बल्कि प्रदेशों के भ्रष्ट राजनेताओं को भी एक चेतावनी है. इस आन्दोलन ने यह साबित कर दिया है देश अब लाखों करोड़ों के घोटालों के कीर्तिमान बनाने वाले राजाओं कल्मादियों और देश भर में फैले इनके भ्रष्ट साथियों को स्वीकार नहीं करेगा. भ्रष्टाचार से आजिज आये देश के नागरिकों को एक नेतृत्व कि तलाश थी जो उन्हें किसी राजनैतिक दल से नहीं मिला. वयोवृद्ध अन्ना हजारे को देश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सर्वमान्य नेता स्वीकार किया है.
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