सोचिये-विचारिये
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आमतौर पर हमारे राजनेता माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते नजर आते है. हाल ही में जब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम को टू जी मामले में सह अभियुक्त नहीं बनाया तो यूपीऐ सरकार और उनके तमाम घटक दलों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कोर्ट का सम्मान करने की बात कही. किन्तु जब सुप्रीम कोर्ट प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था को अनुमति नहीं देता तब यूपीऐ सरकार कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ संविधान संशोधन को तैयार हो जाती है. यह कैसा विरोधाभास है ???????????????????????????
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