सोचिये-विचारिये
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संसद सत्र न चलने देने के लिए प्रधान मंत्री, सोनिया गाँधी सहित सरकार के सभी सदस्य प्रमुख विपक्षी दल भाजपा पर हमला वर है. किन्तु कोयला घोटाला जिसकी वजह से विपक्ष संसद नहीं चलने दे रह उस की जिम्मेदारी पर सरकार में कोई नहीं बोलना चाहता. टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला बिलकुल कोयला घोटाले के सामान ही था जिसमे तब के संचार मंत्री को पद भी छोड़ना पड़ा और जेल भी जाना पड़ा. उस घोटाले में भी नीलामी की जगह पहले आओ पहले पाओ के आधार पर स्पेक्ट्रम बाँट दिए गए थे और कोयले की खानों में भी नीलामी नहीं की गयी. संसद न चलने देने से सरकारी कामकाज का नुकसान अवश्य हुआ है किन्तु कोयले की खदानों की नीलामी न होने से देश को राजस्व का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है,
उसका क्या ??????????????????????????????????
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