Menu
blogid : 3583 postid : 774492

जजों का कोलेजियम ख़त्म- सांसदों का कब???????????

सोचिये-विचारिये
सोचिये-विचारिये
  • 72 Posts
  • 65 Comments

संसद ने जज नियुक्ति बिल को पास कर दिया. अब जजों की नियुक्ति खुद जजों का पैनल नहीं कर सकेगा. बल्कि इसमें सरकार का भी दखल रहेगा. इस बिल के पास होने से जजों की नियुक्ति में स्वयं उन्ही का एकाधिकार नहीं रह जायेगा. न्यायपालिका जैसी महत्वपूर्ण संस्था के लिए यह आवश्यक भी है की उच्च पदों पर जजों की नियुक्ति में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाये.

किन्तु जिस संसद ने एकमत से इस जज नियुक्ति बिल को पास किया है क्या वह अपने लिए भी इस प्रकार का कोई बिल लाने का साहस दिखा पायेगी ? क्या सांसदों का कोलेजियम भी ख़तम हो पायेगा? मेरा अभिप्राय सांसदों के वेतन और भत्ते बढ़ने को लेकर संसद द्वारा पास किये जाने वाले बिलों से है. जो हमेशा ही ध्वनी मत से पारित कर दिए जाते है. सांसद खुद ही अपने लिए मिलने वाली सुविधाओं और वेतन भत्तों में बढ़ोतरी कर लिया करते है. यदि जजों द्वारा खुद जजों की पदोन्नति के निर्णय को संसद और सांसद उचित नहीं समझते है तो फिर सांसदों को कितना वेतन और अन्य सुविधाएँ मिले, इसे सांसद खुद तय कर ले इसे कैसे उचित माना जा सकता है. इसके लिए भी लोकसभा अध्यक्ष के नेतृत्व में सांसदों और अन्य व्यक्तियों की एक समिति बनायी जानी चाहिए जो इनके वेतन इत्यादि के बारे में निर्णय करे. यह समिति यह भी निर्णय करे की संसद की कैंटीन में मोटा वेतन और अनेकों प्रकार के भत्ते पाने वाले सांसदों को कितने रूपए में चाय की प्याली मिले और कितने रूपए में भोजन की थाली. यह समिति यह भी करे की सांसदों को कितनी सांसद निधि विकास कार्यों के लिए मिले. जिन सांसदों द्वारा अपनी विकास निधि खर्च नहीं की जा रही हो उनकी आगामी वर्षों में निधि पर रोक लगाने का काम भी यह समिति करे. सांसदों की विकास निधि का ऑडिट करने का काम भी यही समिति करे.

क्या हमारे सांसद और सरकार इस प्रकार की कोई समिति गठित करने का साहस दिखा पाएंगे?
माननीय सांसदों “जरा सोचिये”!!!!!!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh